जीवन का चुनाव करो!

जीवन का चुनाव करो!

‘‘मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे सामने इस बात की साक्षी बनाता हूँ,  कि मैंने जीवन और मरण, आशीष और श्राप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिए  तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें।’’ -व्यवस्थाविवरण 30:19

हम कभी भी एक अच्छे जीवन का आनंद नहीं उठा पाएँगे जब तक हम ऐसा करने का निर्णय नहीं लेते हैं। शैतान चोरी करने में निपुण है और हमारा आनंद उसका एक पसंदीता लक्ष्य है। नहेम्याह 8:10 हम से कहता है, कि ‘‘प्रभु का आनंद हमारी ताकत है।” यूहन्ना 10:10 में हम से कहा गया है कि ‘‘चोर” मारने, चुराने, और नाश करने के लिए आता है; परन्तु यीशु इसलिए आया कि हम जीवन का आनंद उठाएँ। शैतान एक चोर है और एक चीज़ जो वह चुराना चाहता है, वह हमारा आनंद है। यदि वह हमारा आनंद को हम से चुरा सकता है तो हम कमज़ोर हो जाएँगे और जब हम कमज़ोर हो जाएँगे शत्रु हमारा फ़ायदा उठाएगा।

कमज़ोर विश्वासी उसके और उसके विनाश के कार्यों के लिए खतरा नहीं है। जैसा परमेश्वर चाहता है उस प्रकार का जीवन जीने के लिए, पहली बात जो है वह हमें करना है सच में यह विश्वास करना है कि परमेश्वर की इच्छा हमारे लिए लगातार आनंद का अनुभव करना है। तब हमें अवश्य ही उसके आनंद में प्रवेश करने का निर्णय लेना चाहिए। अपने प्राण में आनंद का अनुभव करना हमारे भौतिक, मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक बात के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। नीतिवचन 17:22, यह कहता है, ‘‘मन का आनंद अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने के हड्डियाँ सूख जाती हैं।” यह हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है कि हम जीवन का आनंद उठाएँ! अब यह परिपूर्ण और बहुतायत के जीवन में प्रवेश करने का निर्णय लेने का समय है जो हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है।

आनंद और आनंद मनाना इसी प्रकार उपलब्ध है जिस प्रकार कष्ट उपलब्ध है। धार्मिकता और शांति उपलब्ध है और उसी प्रकार दोषी ठहराना और यातनाएँ भी आशीष और श्राप दोनों उपलब्ध है। और इसलिए व्यवस्थाविवरण 30:19 हम से जीवन और आशीष का चुनाव करने को कहता है।

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