मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा, (ठीक उसी प्रकार) वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं (किसी ने भी ऐसा प्रबल प्रेम नहीं दर्शाया) कि कोई अपने मित्रों के लिए अपना प्राण (त्याग) दे। -यूहन्ना 15:12-13
परमेश्वर की संतान के रूप में हमें अवश्य दूसरों से उस प्रकार प्रेम करना चाहिए जैसा परमेश्वर ने हम से किया। और इसका तात्पर्य है आक्रामकपूर्व-और बलिदानपूर्वक। प्रेम एक प्रयास है। यदि हम कीमत चुकाने के इच्छुक नहीं हैं तो हम कभी भी किसी से प्रेम नहीं करेंगे। एक समय मैंने एक महिला को एक सुन्दर कान के बुन्दों का जोड़ा दिया। मेरा शरीर उसे अपने लिए बचाके रखना चाहता था, परन्तु मेरी आत्मा ने कहा कि प्रभु के प्रति बनो और उसे दे दो।
बाद में एक महिला एक सभा में खड़ी हुई, कि जो कान के बुन्दें वो पहिनी हुई है वह कैसे “सौजन्य उपहार” के रूप में उसे दिया गया। प्रभु ने मुझ से बात की और कहा, “हाँ, उसके लिए एक सौजन्य उपहार था, परन्तु तुम ने उसका मूल्य चुकाया। ठीक उसी प्रकार जैसे उद्धार तुम्हारे लिए एक मुफ़्त उपहार है परन्तु यीशु ने इसके लिए एक मूल्य चुकाया।”
जब आप परमेश्वर के प्रेम को दर्शाते हैं तो इसे मुफ़्त में बलिदानपूर्वक-और आक्रामकपूर्वक कीजिए!