व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चैकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। – यहोशू 1:8
परमेश्वर हमें बताता है कि जितना ज्यादा समय हम उसके वचन को बोलने और मनन करने पर खर्च करते है, उतना ज्यादा हम हमारे प्रतिदिन के जीवन में लाभ को देखेंगे और यहां तक कि उसके साथ एक करीबी संबंध को प्राप्त करेंगे। वह यह वायदें भी करता है कि हम खुशहाल और सफल होंगे! (देखें यहोशू 1:8)।
मैं इसकी गवाही दे सकती हूँ क्योंकि मैं मेरे जीवन में परमेश्वर के वचन पर विश्वास करने और अंगीकार करने के द्वारा बहुत सी परीक्षाएं और यहां तक कि विनाशकारी समयों में से होकर निकली हूँ।
यहां पर कुछ शक्तिशाली होता है जब हम उसके वचन को ऊँचा बोलते है। यह जानबूझकर सही विचारों को सोचना सीखना है, विशेषकर जब हम वचनों को विश्वास का व्यक्तिगत अंगीकार बनाते है।
वचन को पढ़ना और अपने दिल में इसे प्राप्त करना अच्छा होता है, पर जब आप ऊँचा इसका अंगीकार करते…आप क्रियाशीलता से जो परमेश्वर कहता उसके साथ परस्पर संपर्क रखते और इसकी शक्ति को आपके जीवन में रिहा करते हैं।
मैं आपको परमेश्वर का वचन पढ़ने और मनन करने, इसके साथ आपके विचारों को मिलाने के लिए समय खर्च करने के लिए उत्साहित करती हूँ। पर मैं आपको वचन बोलने के लिए भी विनती करती हूँ। आप जैसा परमेश्वर कहता वैसा कहने के द्वारा आपके जीवन को बदलने के प्रति कार्य करने वाले बनने को ठान सकते है। उसका वचन पढ़े और आज उसे अपनी परिस्थितियों के ऊपर बोलें।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आपके वचन की पूर्ण शक्ति को मेरे जीवन में लाना चाहती हूँ। आपके वचन के बारे में पढ़ने और सोचने के साथ-साथ, मैं इसे मेरे जीवन के ऊपर बोलना चुनती हूँ।