
तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया। यीशु ने आँखें उठाकर कहा, ‘‘हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तू ने मेरी सुन ली है।’’ -यूहन्ना 11:41
यहाँ हम परमेश्वर को धन्यवाद देते यीशु का एक अच्छा उदाहरण देखते हैं। जब आप प्रार्थना करते हैं, मैं आपको उत्साहित करती हूँ कि उसी प्रकार अपनी प्रार्थना का अंत करें जिस प्रकार यीशु ने यहाँ किया, यह कहते हुए ‘‘पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तू ने मेरी सुन ली।’’ ऐसा करने के लिए आपको प्रोत्साहित करने का मेरा एक कारण यह है कि जैसा यूहन्ना कहता है, जब हम जानते हैं कि परमेश्वर ने हमारी प्रार्थना सुन ली है तब हम जानते हैं कि उसने हमारा निवेदन स्वीकार कर लिया है। (1 यूहन्ना 5:14-15 देखिए)। शैतान चाहता है कि मैं और आप प्रार्थना करें और तब यह सोचते हुए चले जाएँ कि परमेश्वर ने हमारी प्रार्थना सुनी है कि नहीं और जो हमने माँगा हैं वह हमें देगा कि नहीं। इस संदेह पर विजय पाने का मार्ग धन्यवाद की आवाज़ को उँचा उठाना है। (भजन संहिता 26:7 और योना 2:9 देखिए)