जहां बुद्धि की युक्ति नहीं, वहां प्रजा विपत्ति में पड़ती है; परन्तु सम्मति देने वालों की बहुतायत के कारण बचाव होता है। – नीतिवचन 11:14
लोग अक्सर पूछते है, “मैं कैसे सुनिश्चित हो सकता हूँ कि क्या मैं परमेश्वर की सच्चाई में चल रहा हूँ या मेरी भावनाओं और उमंग के अनुसार चल रहा हूँ?” मैं विश्वास करती हूँ कि उत्तर धीरज में पाया जाता है।
भावनाएं हमें यह बताती हैं कि हमें कुछ करना चाहिए और अभी इसी समय करना चाहिए, उतावला बनाती है। पर धर्मी बुद्धि हमें तब तब इंतजार करने के लिए कहती है जब तक हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर नहीं होती कि हमें क्या करना है और हमें कब इसे करना है। धर्मी बुद्धि हमें इस से पहले कि हम निर्णयों में जाए बुद्धिमान मार्गदर्शन और सलाह को खोजने के लिए कहती है।
हमें पीछे हटने और हमारी स्थिति को परमेश्वर के दृष्टिकोण से देखने के योग्य होने की आवश्यकता है। हमें क्या महसूस करने की बजाए क्या हम जानते के आधार पर निर्णय करने की जरूरत है। हमें उसकी बुद्धि और विश्वसनीय लोगों की बुद्धि को प्राप्त करने की आवश्यकता है जिनको उसने हमारे जीवनों में रखा है।
जिस समय आप किसी भी मुश्किल निर्णय का सामना करते है, जब तक एक स्पष्ट उत्तर नहीं मिलता तब तक इंतजार करें क्योंकि यह ना हो कि आप कदम उठाकर बाद में पछताएं। भावनाएं अद्भुत होती है, पर उन्हें बुद्धि और ज्ञान के ऊपर प्रधानता लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। परमेश्वर की अगुवाई खोजें और उसे बताने दें कि आपको क्या करना है।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं निर्णयों में उतावली नहीं होऊँगी और मेरी भावनाओं के द्वारा अगुवाई नहीं की जाऊँगी। जो चुनाव मैं करती हूँ उसके लिए मैं आपके बुद्धिमान मार्गदर्शन को खोजने का समर्पण करती हूँ।