अब मैं क्या मनुष्यों को मानता हूं या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं? यदि मैं अब तक मनुष्यों को ही प्रसन्न करता रहता, तो मसीह का दास न होता। – गलातियों 1:10
क्या आप जो परमेश्वर ने आपको होने के लिए बनाया वो है – या क्या आप “मनुष्यों को प्रसन्न करने के लिए” जीवन व्यतीत कर रहे है? इस आयत के अनुसार, परमेश्वर की इच्छा हमारे लिए उसे प्रसन्न करना और जो वो चाहता हम बनें वो होना है।
जब आप वो व्यक्ति होना चुनते जो होने के लिए परमेश्वर ने आपको उत्पन्न किया – अनूठे और बाकी सबसे भिन्न तो आपको कुछ आलोचना की उम्मीद करनी होगी। इसके साथ सदैव हल करना आसान नहीं होगा, पर अगर आप अपने दृढ़ निश्चय के विरूद्ध जाते तो आप स्वयं को इतना पंसद नहीं करेंगे।
देखो, भीड़ के साथ चलना, जब आप आपके दिल में जानते है कि परमेश्वर एक भिन्न मार्ग पर आपकी अगुवाई कर रहा है, एक वो कारण है जिसके कारण लोग अपने आप में सफल नहीं होते।
मैं आपको बाहर कदम बढ़ाने और वो व्यक्ति होने के लिए उत्साहित करना चाहती हूँ जो होने के लिए परमेश्वर ने आपको बनाया है। जिस ढंग से दूसरा व्यक्ति आपसे बर्ताव करता या आपको जवाब देता वो आपके मूल्य को निधार्रित ना करें। भिन्न होने और आलोचना के साथ हल करने का साहस रखें।
याद रखें कि परमेश्वर आपको स्वीकार करता और आप से प्रेम करता है। जैसे आप है वैसा उसने आपको एक कारण के लिए ही बनाया था, और आपके पास कुछ विशेष देने के लिए है।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं मनुष्यों को प्रसन्न करने का प्रयास करते जीवन व्यतीत नहीं करना चाहती हूँ। मैं भिन्न होने का साहस करती हूँ। मैं आपके अनुग्रह के साथ जीवन व्यतीत करना और जो आपने मुझे होने के लिए बनाया वो व्यक्ति होना चाहती हूँ।