पहले सोचें

सो जब कि इन बातों का खण्डन ही नहीं हो सकता, तो उचित्त है, कि तुम चुप रहो (अपने आप को जांचें); और बिना सोचे विचारे कुछ न करो। (प्रेरितों के काम 19:36)

परमेश्वर से किसी बारे में पूछे बिना कुछ करने और इस बात की प्रतीक्षा करना कि वह हमसे बात करेगा, बुद्धिमानी नहीं है; बिना सोचे समझे चीजों को करने के लिए कूद पड़ना भी समझदारी नहीं है। हम अक्सर अपने आपको बहुत सारी चीजों के लिए बाध्य करते हैं और अंत में थक और क्षीण हो जाते हैं। परमेश्वर निश्चित रूप से हमें अपनी आत्मा के माध्यम से प्रबल करते हैं, लेकिन वह हमें उन चीजों को करने के लिए बल नहीं देता है जो हमारे लिए उसकी इच्छा के बाहर हैं। उसने हमें मूर्ख बनने के लिए बल नहीं दिया! एक बार जब हम कुछ करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, तो परमेश्वर को उम्मीद होती है कि हम अपनी बात का मान रखेंगे और ईमानदार लोग होंगे; यही कारण है कि आज के वचन में हमारे लिए उसकी सलाह “बोलने से पहले सोचने के लिए” है। हमारी सोच में, हमें परमेश्वर से पूछना होगा कि वह हमारी बात के बारे में क्या सोचते हैं।

यह निश्चित रूप से एक सबक है जो मुझे सीखना पड़ा है। मैं उत्साहित होकर परमेश्वर की सलाह के बिना चीजों के लिए “हाँ” कह देती थी, और फिर अपने सारणी के बारे में शिकायत करती। परमेश्वर ने मुझे यह बताया कि यदि मैं पहले उसकी खोज करती और उसके मार्गदर्शन का पालन करती, तो मैं निराश और तनावग्रस्त होने से बच सकती थी।

मुझे यकीन है कि आपके पास उन चीजों में शामिल होने के कई अवसर हैं जिनका आप आनंद लेते हैं या जिन चीजों को आप महत्वपूर्ण मानते हैं। मैं आज आपको प्रोत्साहित करती हूं, बिना गंभीर विचार किए और उस चीज को करने के लिए उसकी इच्छा के बारे में परमेश्वर का मार्गदर्शन मांगे बिना, किसी भी चीज के लिए प्रतिबद्ध ना हों।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः बोलने से पहले सोचें!

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