बिना खेद के जीना

बिना खेद के जीना

हे भाइयों, यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूँ; परन्तु केवल यह एक काम करता हूँ कि जो  बातें पीछे रह गई हैं उनको भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ, निशाने की  ओर दौड़ा चला जाता हूँ, ताकि वह इनाम (स्वर्गीय और श्रेष्ठ) पाऊँ जिसके लिए  परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। -फिलिप्पियों 3:13-14

बहुत से लोग पुराने समय में फँसे हुए रहते हैं। भूतकाल के विषय में एक ही बात कही जा सकती है और वह है उसे भूलना। जब हम गलतियाँ करते हैं जैसा कि हम सब करते हैं। एक बात जो हम सब कर सकते हैं वह है परमेश्वर से क्षमा माँगना और आगे बढ़ना। पौलुस के समान हम सब सिद्धता की ओर बढ़ते जा रहे हैं, परन्तु हम में से कोई पहुँचा नहीं है। मैं विश्वास करती हूँ कि पौलुस ने अपने जीवन और सेवकाई का आनंद लिया और उसकी यह “एक मात्र अभिलाषा” उसके कारण का भाग था। हमारे समान वह सिद्धता की ओर बढ़ रहा था, यह अंगीकार करते हुए कि वह नहीं पहुँचा है परन्तु ये अन्तर्दृष्टि उसके पास थी कि जीवन का आनंद कैस उठाएँ जब की वह यात्रा कर रहा था।

मैंने बहुत वर्ष अपने पराजयों से स्वयं से घृणा करते हुए व्यतीत किया। मैं बहुत अधिक एक अच्छी मसीही होना चाहती थी। मैं परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहती थी, परन्तु फिर भी मैं सोचती थी कि मेरे सिद्ध कार्य उसे प्रसन्न करेंगे। मैंने अब तक नहीं सीखा था कि वह मेरे विश्वास से प्रसन्न होता है। इब्रानियों 11:6 में हम पढ़ते हैं “विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना असंभव है।” यहाँ तक कि जब हम गलतियाँ करते हैं और उन गलतियों के परिणामस्वरूप मूल्यवान समय को बर्बाद करते हैं तो वह जीवन का आनंद उठाने के स्थान पर निराश होते हैं, यह अनुपयोगी है कि कष्ट में लगातार बने रहें एक लम्बे समय के लिए चूंकि उन वास्तविक गलतियों के कारण। दो गलातियाँ कुछ भी सही काम नहीं कर सकती हैं।

यदि आप बीस वर्ष पूर्व एक गलती किए हैं, या दस मिनट पहले किए हैं, फिर भी अब भी उसके विषय में आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं, केवल उसके विषय में यह कि आप क्षमा माँग सकते है और क्षमा प्राप्त कर सकते हैं। भूतकाल को भूल कर और आगे बढ़ सकते हैं। संभव है कुछ अवरोध आप लगा दें उस व्यक्ति के लिए जिसे आप चोट पहुँचाते हैं और यदि यही बात है तो हर संभव ऐसा करे। परन्तु अन्तिम पंक्तियाँ यह है कि भविष्य को पकड़ने के लिए आप भूतकाल को अवश्य जाने दें। जब तक आप ऐसा नहीं करते हैं आप उस रीति से आनंद नहीं उठाएँगे जैसा परमेश्वर चाहता था जब उसने यीशु को भेजा।

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