
धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है। – याकूब 1:12
मैं विश्वास करती हूँ कि परीक्षा को समझना और उग्रता से इसका सामना करना ही शैतान से एक कदम आगे रहने का एकलौता ढंग है। याकूब 1:12 कहती है, धन्य है वो जो परीक्षा को सह लेता…वह जीवन का मुकूट पाएगा…। परीक्षा को सहन करने का अर्थ है बिना हारे परीक्षाओं में से होकर जाना – शैतान को मात देने के लिए।
सहन करने का अर्थ परीक्षा के एक समय में से आपके व्यवहार और समर्पण को बदलने की अनुमति दिए बिना इस में से होकर निकलना है। यीशु ने जब वह परीक्षा को सहन कर रहा था तो लोगों के साथ भिन्नता के साथ बर्ताव नहीं किया, और जब हम आत्मिक तौर पर सिद्ध होते तो हम उसके उदाहरण का अनुसरण कर सकते है।
यीशु ठीक वही समझता है कि हम परीक्षा में किस बात का सामना कर रहे है। कई बार वो हमें परीक्षाओं का सामना करने की अनुमति देता है ताकि वो हमारे जीवनों में कमजोरियों के क्षेत्रों पर हमारे ध्यान को ला सकें और उन पर जय पाने में हमारी सहायता कर सकें। एक ही ढंग जिसके द्वारा हम वो सब पा सकते जो यीशु ने हमें पाने के लिए कहा वो जो उसने हमें होने के लिए बनाया वो बनने के द्वारा है। और वो सिद्धता परीक्षाओं के द्वारा आती है।
इसलिए धैर्यवान होने का दृढ़ निश्चय करें और परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा परीक्षा में स्थिर खड़े रहें। यह आपको शैतान से एक कदम आगे रखेगा।
आरंभक प्रार्थना
पवित्र आत्मा, मैं विश्वास करती हूँ कि आप परीक्षाओं के समय मेरे साथ है, इसलिए मैं धैर्यवान और मजबूत खड़ी हुई, हमेशा शैतान से एक कदम आगे खड़ी हो सकती हूँ।