हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिए सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात उन्हीं के लिए जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। -रोमियों 8:28
यहाँ वचन यह नहीं कहता है कि सब कुछ अच्छा है परन्तु यह कहता है कि एक साथ मिलकर सब कुछ भलाई उत्पन्न करता है। मान लीजिए कि आप बाज़ार जाने कि योजना बना रहे हैं। आप गाड़ी में बैठते हैं और वह चालू नहीं होती है। इस परिस्थिती को देखने के दो तरीके हैं। आप कह सकते हैं, “मैं यह जानता था। यह कभी खराब नहीं होती है। प्रत्येक बार मैं जब कुछ करना चाहता हूँ तो सारी मुसीबतें खड़ी हो जाती है। मैं जानती थी कि मेरी यह बाज़ार जाने की योजना पराजित हो जाएगी। मेरी योजनाओं के साथ हमेशा ऐसा ही होता है।”
या आप कह सकते हैं, “हाँ, मैं बाज़ार जाना चाहता था, परन्तु ऐसा लगता है कि अभी मैं नहीं जा सकता। मैं बाद में जाऊँगा जब मेरी गाड़ी ठीक हो जाएगी। उस दौरान मैं विश्वास करता हूँ कि मेरी योजना में यह परिवर्तन मेरे लिए कुछ भलाई करने जा रहा है। शायद ऐसा कोई कारण हो कि आज मुझे घर में रहना ज़रूरी है। इसलिए मैं अपने समय का यहीं पर आनंद उठाने जा रहा हूँ।”
रोमियों 12:16 में प्रेरित पौलुस हम से कहता है कि तैयारीपूर्वक लोगों के साथ और बातों के साथ अपने आपको सामन्जस्य बैठाए। विचार यह है कि हमें किस प्रकार का व्यक्ति बनना सीखना है जो योजनाएँ बनाता है परन्तु निराश नहीं होता यदि उसकी योजनाएँ बुरी नहीं होती। एक व्यक्ति जो सकारात्मक हो ज़रूरी नहीं कि उसके साथ समय हमेशा अपनी योजना के अनुकूल हो। सकारात्मक व्यक्ति आगे बढ़ता है और चाहे कुछ भी हो अपना आनंद उठाने का निर्णय लेता है।