
हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है। -सभोपदेशक 3:1
किसी बात के विषय में संयमी हुए बिना हम कभी भी संयम नहीं सीखेंगे। संयम कुछ ऐसा है जिसे हमारे भीतर कार्य करना है-यह यूहीं प्रगट नहीं होता है। संयम का फल हमारी आत्मा में है क्योंकि यह परमेश्वर की संतानों के रूप में पवित्र आत्मा हमारे भीतर निवास करती है।
परन्तु संयम को हमारे प्राण के द्वारा अभिव्यक्त किया जा सकता है (हमारा मन, भावना और इच्छा)। हममें अवश्य ही एक कार्य किया जाना है। एक बार जब मेरा इंतज़ार अपने बच्चों के जन्म करने लिए खत्म हो गया तब मैंने सभी कल्पनीय बातों का प्रयास किया ताकि उनका जन्म हो। मैं चली, सरसों के तेल पी, सामान्य से अधिक कार्य की इस उम्मीद के साथ कि यह अधिक कार्य करेगा मैंने जल्दि ‘‘जल्दि कार्य’’ किए। उनमें से एक के साथ मैं अस्पताल भी गई ताकि डॉक्टर मेरे अंदर दर्द भी उत्पन्न कर सके। यह भी कार्य नहीं किया मुझे वापस घर भेजा गया। चिकित्सक ने मूल रूप से कहा, ‘‘घर जाओ और प्रकृति को अपना काम करने दो।’’
परमेश्वर के वचन और मेरे जीवन के अनुभव से आपको मेरी सलाह यह है कि ‘‘ऐसी बड़ी जल्दि में मत पड़े।’’ शायद आप अपने जीवन के लिए सपनों से भरे हुए हों परन्तु आप समय से पहले अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहे होंगे। हम अपने जीवन में बड़ी दुर्दशा सह सकते हैं कि और कभी कभी हम परमेश्वर के साथ निराश भी हो सकते हैं क्योंकि बातें उस प्रकार से नहीं होती है जैसा हमने सोचा है क्योंकि हमने सोचा कि प्रभु कहेगा, जैसा प्रभु ने कहा कि वे होंगे। बातें वैसे ही होंगी जैसे प्रभु ने कहा यदि हम उसके समय का इंतज़ार करते हैं। हम जल्दि में होते हैं परमेश्वर जल्दी में नहीं है!
अपने आपको प्रभु में आनन्दित करने में व्यस्त हो और उसे आपको वह चीज़ें देने दें जो आप चाहते हैं आपके पास हों। यदि परमेश्वर किसी इच्छा को आप के अंदर डालता है आपको निश्चय होगा कि वह उसे सही समय पर जन्म देगा। दिशा और निर्देश के लिए परमेश्वर का इंतज़ार करें कि किस प्रकार आगे बढ़ना है। वह करें जो वह आपसे करने के लिए कहता है या दिखाता है परन्तु उसके परे न जाए।